CGHS Card Holders: इससे पहले सीजीएचएस लाभार्थियों की आईडी और एबीएचए को आपस में लिंक करने की प्रक्रिया पहली अप्रैल से शुरू करने की बात कही गई थी। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों से कहा गया था कि वे इस कार्य को तीस दिन में पूरा कर लें। अब आभा आईडी बनाने की समय सीमा बढ़ा दी गई है।
CGHS Card Holders: केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के लाभार्थियों के लिए बड़ा अपडेट है। पहले यह कहा गया था कि इस कार्ड को 30 दिन के भीतर आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (एबीएचए) से लिंक करना होगा। अब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना महानिदेशालय ने 15 अप्रैल को एक नया कार्यालय ज्ञापन ‘ओएम’ जारी किया है। इसमें ‘एबीएचए’ आईडी बनाने की समय सीमा बढ़ा दी गई है। साथ ही सीजीएचएस आईडी को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते से लिंक करने की समयावधि को भी बढ़ाया गया है।
एबीएचए बनाने की समय सीमा बढ़ी
इससे पहले सीजीएचएस लाभार्थियों की आईडी और एबीएचए को आपस में लिंक करने की प्रक्रिया पहली अप्रैल से शुरू करने की बात कही गई थी। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों से कहा गया था कि वे इस कार्य को तीस दिन में पूरा कर लें। अब आभा आईडी बनाने की समय सीमा बढ़ा दी गई है। यह समय सीमा 30 जून से तीन माह (90 दिन) के लिए बढ़ाई गई है। इसके साथ ही केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) आईडी को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (एबीएचए) से लिंक करने की समयावधि भी बढ़ा दी गई है। इसमें 120 दिन का इजाफा किया गया है। यानी 30 जून से 120 दिन के भीतर सीजीएचएस और एबीएचए को लिंक करना होगा। इस कार्य में सीजीएचएस लाभार्थियों की मदद के लिए सभी वैलनेस सेंटरों पर कियोस्क स्थापित होंगे। ये कियोस्क 30 जून तक कार्य करना शुरू कर देंगे।
गत वर्ष सरकार ने किया था इनकार
पिछले साल सोशल मीडिया पर व्हाट्सएप चैट (मैसेज) का एक स्क्रीनशॉट खूब वायरल हुआ था। उसमें यह बात कही गई थी कि सीजीएचएस और आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट को जोड़ा जा रहा है। उस मैसेज के जरिए लाभार्थियों में कई तरह की भ्रांतियां फैल रही थीं। जैसे, सरकार वह कदम क्यों उठाना चाह रही है। क्या उस आदेश से सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज का कोई नियम बदला जाना था। उस वक्त केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए मैसेज का खंडन किया था। पीआईबी फैक्ट चेक ने उसे पूरी तरह से फर्जी बताया था। केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना महानिदेशालय द्वारा इस साल 28 मार्च को जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया था कि सीजीएचएस और आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट को लिंक किया जाए।
कोई बड़ा निर्णय ले सकती है सरकार
सीजीएचएस कार्ड को आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट से 30 दिन के भीतर लिंक करना होगा, जब यह आदेश आया तो कर्मियों को ऐसी आशंका होने लगी कि केंद्र सरकार, देर-सवेर सीजीएचएस को लेकर कोई बड़ा निर्णय ले सकती है। यह आशंका जताई गई कि कर्मचारियों और पेंशनरों को सीजीएचएस से दूर किया जा सकता है। सरकारी कर्मियों के लिए प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की सुविधा खत्म हो सकती है। स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) की स्टेंडिंग कमेटी के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने इस बाबत पिछले सप्ताह ‘स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय’ के सचिव को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि कर्मचारी संगठनों और जेसीएम ने केंद्र सरकार के इस निर्णय का समर्थन नहीं किया है।
कर्मियों से सलाह लेना भी जरूरी नहीं समझा
श्रीकुमार ने अपने पत्र में लिखा है, स्वास्थ्य मंत्रालय का यह निर्णय कि अब सीजीएचएस आईडी कार्ड को भारत सरकार के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (एबीएचए) से जोड़ना होगा, हैरान करने वाला है। इस निर्णय से केंद्र सरकार के कर्मचारी, सकते में आ गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसा निर्णय लेने से पहले केंद्रीय कर्मचारी संगठनों और स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) की स्टेंडिंग कमेटी की सलाह लेना भी जरूरी नहीं समझा। हालांकि इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अधिकारी ने कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि को सूचित किया है कि सीजीएचएस आईडी कार्ड को भारत सरकार के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (एबीएचए) से जोड़ना, यह अनिवार्य नहीं है। यह निर्णय एक विकल्प के तौर पर रहेगा।
कार्यालय ज्ञापन को वापस लिया जाए
बतौर श्रीकुमार, यह भारत सरकार का एक सोचा समझा कदम है। इसके जरिए सरकारी कर्मियों पर यह दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि वे केवल सरकारी अस्पतालों में ही इलाज कराएं। कर्मचारी, सीजीएचएस इम्पैनलमेंट अस्पतालों को अलविदा कह दें। ऐसे में श्रीकुमार ने स्वास्थ्य मंत्रालय से आग्रह किया है कि 28 मार्च को जारी उस कार्यालय ज्ञापन को वापस लिया जाए, जिसमें सीजीएचएस आईडी कार्ड को भारत सरकार के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते से जोड़ने की बात कही गई है। साथ ही इस मामले को लेकर स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) की स्टेंडिंग कमेटी की बैठक बुलाई जाए। उसमें कर्मियों के सभी पक्षों को सुना जाए।
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