Chanakya Niti Best tips: चाणक्य नीति के द्वारा किसी भी स्त्री अथवा पुरूष के बारे में जाना जा सकता है। और किसी भी रिश्ते के मानवीय भाव की गहराई को समझा जा सकता है। इन सभी रिश्तों को जिस नजर से हम देख नहीं सकते, उस नजरिये को चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने जनसामान्य को समझाया है। आचार्य चाणक्य ने अपने इस गंथ में अनेक नीति सूत्रों की रचना की है। जिन्हें समझने पर हमें काफी फायदा होता है।
आचार्य चाणक्य ने महिलाओं के विषय में काफी कुछ कहा है। उनका स्वभाव, उनकी फितरत, उनकी सोच और वो किस समय किस प्रकार से बर्ताव करती हैं। इन बातों पर खास अध्ययन किया है। आचार्य चाणक्य अपने गंथ में लिखते हैं कि महिलाएं कभी भी भरोसा करने लायक नहीं होती हैं। और उनके ऐसा लिखने के पीछे भी कई ठोस तथ्य शामिल हैं।
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चाणक्य के अनुसार महिलाओं के स्वभाव में ऐसे लक्षण पाएं जाते हैं जोकि उन्हें भरोसे के लायक नहीं बनाते। ऐसा इसलिए कि महिलाएं कोई भी बात अपने तक अधिक समय तक सीमित नहीं रख पाती हैं। सीक्रेट बातें दूसरे लोगों तक ले जाना उनकी आदत होती है। इसलिए आप उनसे जो भी बातें साझा करेंगे वो बातें दूसरे लोगों तक ना जाए इसकी कोई गारंटी नहीं होती है।
आचार्य चाणक्य महिलाओं को भरोसेमंद नहीं मानते
इसलिए आचार्य चाणक्य महिलाओं को भरोसेमंद नहीं मानते हैं। महिलाओं के सामान्य लक्षणों के अलावा भी आचार्य चाणक्य ने महिलाओं की ऐसी बातों को भी नीति शास्त्र में लिखा है जोकि उन्हें विश्वास के योग्य नहीं बनाती। चाणक्य के अनुसार कुछ स्त्रियां ऐसी होती हैं जिनसे पुरुषों को कभी भी शादी नहीं करनी चाहिए।
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आचार्य चाणक्य ने लोगों को ये समझाने का प्रयास किया है कि कैसी स्त्री से विवाह करना चाहिए और कैसी स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए। चाणक्य के अनुसार सुन्दरता ही सबकुछ नहीं होती है। यदि कोई पुरुष किसी स्त्री की सुन्दरता देखकर उसे परखता है और उसे पसंद करके उससे विवाह कर लेता है तो उससे बड़ा मूर्ख इस पूरी दुनिया में कोई भी नहीं है।
विवाह के लिए स्त्री के संस्कार, उसका स्वभाव, उसके लक्षण, उसके गुण और अवगुणों के बारे में जानना चाहिए। इन सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद ही शादी के बारे में निर्णय करना चाहिए। अन्यथा सुन्दरता के आधार पर गलत चुनाव करने से वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहता है।
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में स्त्री के संस्कार पर खास महत्व दिया है। उन्होंने लिखा है कि अच्छे संस्कारों वाली स्त्री घर को स्वर्ग बना देती है। वो अपने पति और उसके पूरे परिवार का ख्याल रखती हैं। लेकिन बुरे संस्कारों वाली स्त्री सबकुछ तहस-नहस कर देती है।
चाणक्य के अनुसार यदि स्त्री सुन्दर नहीं है लेकिन उसके संस्कार अच्छे हैं तो पुरुष को उससे विवाह कर लेना चाहिए। क्योंकि यही वो स्त्री है जो उसके भविष्य को सुखद बनाएगी। ऐसी स्त्री उसे एक श्रेष्ठ परिवार देती है। लेकिन इसकी जगह यदि गलत स्त्री को चुन लिया जाए, जोकि संस्कारी नहीं है और परिवार की अहमियत ना समझती हो तो ना केवल शादी बल्कि सभी रिश्ते-नाते टूट जाते हैं।
ऐसी स्त्रियां अधार्मिक होती हैं। वो रिश्तों पर विश्वास नहीं करती हैं। पल-पल वो रिश्तों को तोड़ने का विचार करती हैं। ऐसी स्त्री परिवार के सुख के बारे में विचार नहीं करती हैं। बल्कि सभी को दुख पहुंचाती हैं। ऐसी स्त्री ना केवल विवाह के रिश्ते को खराब करती है बल्कि पूरे कुल का नाश करती है।
वो उस पूरे परिवार को समाज के सामने बेइज्जत करती है। इसलिए विवाह के लिए हमेशा संस्कारी स्त्री का ही चुनाव करना समझदारी होता है। क्योंकि आचार्य चाणक्य बताते हैं कि सुन्दरता मन की देखनी चाहिए और तन की सुन्दरता बिलकुल भी नहीं देखनी चाहिए।
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