नीरज चोपड़ा का नाम भारतीय खेलों के इतिहास में सुनहरे अक्षर में दर्ज हो गया है। उन्होंने भारत को वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पहला गोल्ड दिलाया। नीरज की जीत के बाद गावस्कर ने बड़ी भविष्यवाणी की है। भारत के ‘गोल्डन बॉय’ नीरज चोपड़ा ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में इतिहास रच डाला। स्टार भाला फेंक एथलीट नीरज इस चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बन चुके हैं। उन्होंने 88.17 मीटर भाला फेंककर यह कारनामा अंजाम दिया।
नीरज के अलावा मेन्स जेवलिन थ्रो फाइनल इवेंट में भारत के किशोर जेना और डीपी मनु भी थे जो क्रमश: पांचवें और छठे स्थान पर रहे। नीरज के ऐतिहासिक गोल्ड जीतने के बाद भारतीय क्रिकेट के पूर्व कप्तान और महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने एक बड़ी भविष्याणी की है। गावस्कर का कहना है कि भारत अगले 10-15 साल में स्पोर्टिंग कंट्री के रूप में जाना जाएगा।
गावस्कर ने सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ”बहुत-बहुत खुशी हुई। बहुत आनंद आया। नीरज ने ओलंपिग में गोल्ड जीता था। उन्होंने पिछले साल वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर अपने नाम किया। उनके लिए यह जरूरी था कि वह इस बार चैंपियनिशप में गोल्ड प्राप्त करें। उन्होंने एक लंबा थ्रो करके, वो गोल्ड हासिल किया। इससे अन्य लोगों को काफी प्रोत्साहन मिलता है।
आपने देखा होगा कि फाइनल में सिर्फ नीरज ही नहीं बल्कि भारत के दो और भाला फेंक एथलीट थे। एक बंद जब अच्छा करता है तो उस स्पोर्ट को प्रोत्साहन मिलता है। बाकी आसपास के जो खेलने वाले हैं, वो भी उसमें दिलचस्पी लेते हैं। अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया को स्पोर्टिंग कंट्री कहा जाता है और मुझे लगता है कि शायद अगले 10-15 सालों में भारत को भी एक स्पोर्टिंग कंट्री के रूप में जाना जाएगा।”
गौरतलब है कि चार स्पर्धाओं के फाइनल्स में पहुंचने के बावजूद चोपड़ा के अलावा कोई भी भारतीय मेडल का गंभीर दावेदार नहीं था। पिछले चरण में छह भारतीयों ने फाइनल्स में प्रवेश किया था और इस बार भी फाइनल्स में पहुंचे भारतीयों की संख्या में ज्यादा बदलाव नहीं था।
3000 मीटर स्टीपलचेस एथलीट पारुल चौधरी, लंबी कूद के एथलीट जेस्विन एल्ड्रिन और पुरुष रिले टीम पहुंची थी। बता दें कि भारत ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप इतिहास में महज तीन पदक जीते हैं। चोपड़ा ने दो मेडल (सिल्वर-गोल्ड) जबकि लंबी कूद की महान एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज ने एक पदक पर कब्जा जमाया। अंजू ने 2003 में ब्रॉन्ड मेडल हासिल किया था।