Health Insurance Claim: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वाले ग्राहकों को भी इस समय क्लेम प्राप्त करने के लिए इंतजार करना होता है। कभी-कभी इंतजार लंबा हो जाता है। इस इंतजार की लंबी अवधि को कम करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एक पहल कर रहा है। यह पहल एक सिंगल पोर्टल तैयार करने का है। इस पोर्टल के साथ इंश्योरेंस कंपनियां और अस्पतालों का नेटवर्क जुड़ रहा है।
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम (Health Insurance Claim) का निपटारा अब जल्द से जल्द हो सकेगा। इस मकसद को पूरा करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने सिंगल पोर्टल तैयार कर लिया है। इस पोर्टल के साथ इंश्योरेंस कंपनियां (Insurance Companies) और अस्पताल भी जुड़ रहे हैं। इसके पूरी तरह से फंक्शनल हो जाने के बाद हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वालों का मेडिक्लेम का निपटारा जल्द से हो सकेगा।
शुरू हो रहा है पायलट प्रोजेक्ट
केंद्र सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ही इस प्रोजेक्ट का पायलट शुरू करने जा रहा है। बताया जाता है कि अभी तक करीब 35 इंश्योरेंस कंपनियां इस प्रोजेक्ट से जुड़ चुकी है और बड़े अस्पताल भी जल्द जुड़ने जा रहे हैं। इसके बाद ट्रायल शुरू हो जाएगा। इस पोर्टल का फायदा मरीजों, इंश्योरेंस कंपनियों और अस्पतालों सभी को मिलेगा।
अभी करना होता है लंबा इंतजार
अभी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम के निपटारे के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। चाहे अस्पताल में भर्ती मरीज हो या फिर इंश्योरेंस क्लेम के लिए आवेदन किया हो, क्लेम पाने में काफी समय लग जाता है। लेकिन अब सिंगल प्लेटफॉर्म पर सभी बड़ी इंश्योरेंस कंपनियां और बड़े अस्पताल होंगे और कुछ ही घंटे में क्लेम का निपटारा हो जाएगा। एक ही प्लेटफॉर्म पर सभी अस्पताल व इंश्योरेंस कंपनियां होंगी और एक ही प्लेटफॉर्म पर चेक करेंगी और इससे प्रोसेस में तेजी होगी। इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) भी चाहती है कि इंश्योरेंस क्लेम का निपटारा होने में ज्यादा देरी न हो।
डिजिटल पहल लागू करने की कड़ी
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत की डिजिटल पहल को लागू करने की कड़ी में यह एक और कदम उठाया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने बताया कि वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत की डिजिटल प्रणाली पर काफी चर्चा हुई है। देश में डिजिटल स्वास्थ्य लेनदेन को अपनाने और रोगी स्वास्थ्य रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के बारे में दूसरे देशों को बताया गया है।
गैर-संचारी रोग की रोकथाम एक चुनौती
उन्होंने बताया कि दुनिया के सामने अब गैर-संचारी रोग (NCD) की रोकथाम एक चुनौती है। अच्छी बात यह है कि 100 से ज्यादा देश इस बात पर सहमत हैं कि गैर संचारी रोगों की रोकथाम और इलाज पर जो खर्च किया जाता है, उसमें इजाफा होना चाहिए। गैर संचारी रोगों में हृदय संबंधी रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, अस्थमा) और मधुमेह जैसे रोग शामिल आते हैं। वहीं मानसिक स्वास्थ्य भी चुनौती बन रहा है। बढ़ते तनाव के बीच लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी नई पहल करने पर हेल्थ असेंबली सहमत हुई है।
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