Virat Kohli vs Gautam Gambhir: कभी गौतम गंभीर ने विराट कोहली को अपना मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड दे दिया था। अब दोनों प्लेयर्स के बीच छत्तीस का आंकड़ा हो गया। वैसे प्लेयर्स के बीच लड़ाई में किसी कोच या मेंटॉर का कूदना कितना सही?
लखनऊ: रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) और लखनऊ सुपरजायंट्स (एलएसजी) के बीच लो-स्कोरिंग मुकाबले में फील्डिंग के दौरान विराट कोहली अपने पुराने आक्रामक तेवर लिए नजर आए। मुकाबले के दौरान विराट की बहस लखनऊ के बल्लेबाज नवीन-उल-हक के साथ भी हुई।
शायद यह झड़प और कोहली का जश्न डग आउट में बैठे एलएसजी के प्लेयर्स, स्टाफ और खासकर टीम के मेंटर गौतम गंभीर को चुभ गया और मुकाबला खत्म होते-होते दिलों में भरा गुबार फूट पड़ा। मैच के बाद जब दोनों टीमों के खिलाड़ी एक दूसरे से हाथ मिला रहे थे तब एक बार फिर नवीन और कोहली के बीच छोटी-सी बहस हुई।
मामले ने तब तूल पकड़ा जब गौतम गंभीर ने लखनऊ के कैरेबियाई प्लेयर काइल मेयर्स को विराट से बातचीत करने से रोक दिया और उन्हें अपने साथ लेकर चले गए। इसके तुरंत बाद गंभीर को कोहली की तरफ बढ़ते हुए देखा गया और फिर दुनिया ने आईपीएल में ‘गली क्रिकेट’ में होने वाली झड़प की झलक देखी।
यह कोई पहली बार नहीं
कोहली और गंभीर दोनों भारत और दिल्ली टीम की तरफ से एक साथ खेल चुके हैं। याद कीजिए 2011 वर्ल्ड कप के फाइनल में दोनों ने टीम के लिए तीसरे विकेट लिए 83 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी भी की थी। मगर, फिर कुछ ऐसा हुआ कि दोनों के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं।
इन दोनों के बीच 10 साल पहले 2013 में आरसीबी और कोलकाता नाइटराइडर्स के बीच बेंगलुरु में खेले गए मैच के दौरान भी झड़प हुई थी। तब गंभीर कोलकाता टीम के कप्तान थे। इससे पहले जब लखनऊ और आरसीबी के बीच बेंगलुरु में मैच खेला गया था तो गंभीर को दर्शकों की तरफ चुप रहने इशारा का करते हुए देखा गया था।
“आरसीबी के निदेशक माइक हेसन गंभीर की उस ‘हरकत’ को ही इस झगड़े की जड़ मान रहे हैं।”