ITR Form-16: आईटीआर फाइल करते समय फॉर्म-16 बहुत जरूरी डॉक्यूमेंट होता है। इस डॉक्यूमेंट के बिना रिटर्न फाइल नहीं किया जा सकता है। अब रिटर्न फाइल करते समय फॉर्म-16 की डिटेल्स को चेक करके सबमिट करना होता है और बाद में ई-वेरीफाई करना होता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में फॉर्म-16 के नियम और उसमें शामिल डिटेल्स के बारे में बताएंगे।
ITR Form-16: ITRसैलरीड पर्सन को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय फॉर्म-16 की जरूरत होती है। आईटीआर के लिए फॉर्म-16 बहुत जरूरी दस्तावेज है। आज हम आपको बताएंगे कि फॉर्म-16 के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के क्या नियम है और फॉर्म-16 में कौन-सी जानकारी शामिल होती है।
फॉर्म-16 को लेकर क्या है नियम
आयकर विभाग के नियमों के अनुसार सभी कंपनियों को टीडीएस रिटर्न फाइल करने के बाद फॉर्म-16 जारी करना होता है। आपको बता दें कि इस साल टीडीएस फाइल करने की आखिरी तारीख 31 मई 2024 थी।
इसका मतलब है कि कर्मचारियों को 16 जून 2024 तक फॉर्म-16 मिल जाएगा। अगर कर्मचारी को फॉर्म-16 नहीं मिलता है तो वह एचआर से बात करें।
Form 16 क्या है?
फॉर्म-16 में सैलरी और टैक्स की जानकारी होती है। इसमें इनकम के सोर्स के साथ टैक्स डिडक्शन और किस इनकम पर कितना टैक्स लगता है इसकी जानकारी होती है। अब फॉर्म-16 की डिटेल्स पहले से आईटीआर में मौजूद होती है।
अब टैक्सपेयर को केवल आईटीआर फाइल करते समय फॉर्म-16 की डिटेल्स को चेक करके सबमिट करना होता है। आईटीआर फाइल करने के बाद करदाता को इसे ई-वेरीफाई करना होता है।
कितने पार्ट में होता है फॉर्म-16
फॉर्म-16 दो पार्ट में होता है। फॉर्म-16 के पार्ट A में कंपनी का TAN नंबर, कंपनी का पैन नंबर, कर्मचारी का पैन नंबर, एड्रेस डिटेल्स, असेसमेंट ईयर, जॉब टेन्योर की जानकारी होती है। इसके अलावा इसमें टीडीएस (TDS) की भी डिटेल होती है।
फॉर्म-16 के पार्ट B में टैक्सपेयर की सैलरी ब्रेकअप के साथ टैक्स की डिटेल्स होती है। इसके अलावा इसमें करदाता की ग्रॉस सैलरी, नेट सैलरी, हाउस रेंट अलाउंस, पीएफ अकाउंट, प्रोफेशनल टैक्स, टैक्स डिडक्शन, इन्वेस्टमेंट, सेविंग प्लान आदि की भी जानकारी होती है।
फॉर्म 26AS भी है जरूरी
फॉर्म 26AS भी जरूरी होता है। फॉर्म 26AS कंसोलिटेड टैक्स स्टेटमेंट है। इसमें करदाता के इनकम सोर्स और टैक्स डिडक्शन की डिटेल्स होती है। आयकर विभाग के ऑफिशियल वेबसाइट पर ई-फाइलिंग अकाउंट से फॉर्म 26AS को डाउनलोड किया जा सकता है।
ऐसे में आईटीआर फाइल करते समय करदाता को फॉर्म 26AS और फॉर्म-16 को मैच करना चाहिए। अगर इन दोनों फॉर्म में दी गई जानकारी में अंतर होता है तो आईटीआर रिजेक्ट भी हो सकता है।
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