Thursday, November 21, 2024
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Manish Sisodia Bail: 17 महीने बाद मनीष सिसोदिया को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दे दी जमानत, जानिए हर अपडेट

17 महीनों से जेल में बंद मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. SC ने आबकारी मामले में उनकी जमानत को मंजूरी दे दी है. इस दौरान कोर्ट ने हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट को भी फटकार लगाई है. अदालत ने कहा है कि दोनों अदालतें इस मामले में सेफ गेम खेल रही हैं.

आबकारी नीति के मामले में पिछले 17 महीनों से जेल में बंद दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सर्वोच्च अदालत ने उन्हें आबकारी मामले में जमानत दे दी है. बता दें कि तीन दिन पहले ही SC ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाते हुए कहा,’जमानत के मामले में हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट सेफ गेम खेल रहे हैं. सजा के तौर पर जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता. अब समय आ गया है कि अदालतें समझें कि जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है.’

चार शर्तों पर मिली सिसोदिया को जमानत

सर्वोच्च अदालत ने सिसोदिया को तीन शर्तों पर जमानत दी है. पहला ये कि उन्हें 10 लाख रुपए का मुचलका भरना होगा. इसके अलावा उन्हें दो जमानतदार पेश करने होंगे. वहीं, तीसरी शर्त यह है कि वह अपना पासपोर्ट सरेंडर कर देंगे. इसके अलावा मनीष सिसोदिया को सोमवार और गुरुवार को थाने में हाजिरी भी लगानी पड़ेगी.

ASG के अनुरोध को SC ने नहीं माना

इस दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने आज सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि मनीष सिसोदिया को दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रवेश करने से रोक दिया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते हैं. स्वतंत्रता का मामला हर दिन मायने रखता है.

फैसले से पहले कार्रवाई के बारे में बताया

सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाने से पहले जमानत को लेकर अब तक की गई कार्यवाही के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि सिसोदिया को निचली अदालत फिर हाई कोर्ट जाने के लिए कहा गया था. अगर राहत नहीं मिलती है तो सुप्रीम कोर्ट आने के लिए भी कहा गया था. इसके बाद उन्होंने (मनीष सिसोदिया) दोनों अदालत में याचिका दाखिल की थी.

दाखिल की गईं अलग-अलग याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,’इस मामले में ट्रिपल टेस्ट आड़े नहीं आएगा, क्योंकि यहां मामला ट्रायल के शुरू होने मैं देरी को लेकर है. निचली अदालत ने राइट टू स्पीडी ट्रायल को अनदेखा दिया और मेरिट के आधार पर जमानत नहीं दी थी. ED की तरफ से कहा गया की इस मामले में अलग-अलग आरोपियों की तरफ से कई याचिकाएं दाखिल की गईं हैं. वहीं, सिसोदिया ने जो अर्जियां दाखिल की हैं, उसमें ज्यादातर अपनी पत्नी से मिलने या फाइल पर हस्ताक्षर करने के लिए थी. सीबीआई मामले में 13 और ED मामले में 14 अर्जियां दाखिल की गई थीं.’

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- ट्रायल में देरी क्यों हुई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई मामले में 13 और ED मामले में 14 अर्जियां दाखिल की गई थीं. ये सभी अर्जियां निचली अदालत ने मंजूर की थी. निचली अदालत ने अपने आदेश में जो कहा था की मनीष की अर्जियों की वजह से ट्रायल शुरू होने में देरी हुई, वो सही नहीं है. हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि अर्जियों की वजह से ट्रायल में देरी हुई. इस मामले में 8 आरोपपत्र ED के द्वारा दाखिल हुए हैं. ऐसे में जब जुलाई में जांच पूरी हो चुकी है तो ट्रायल क्यों नहीं शुरू हुआ. हाई कोर्ट और निचली अदालत ने इन तथ्यों को अनदेखा किया.

हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी जमानत

इस मामले में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की पीठ ने 6 अगस्त को ही फैसला सुरक्षित रख लिया था. मनीष सिसोदिया ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. दरअसल हाईकोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

Sunil kumar
Sunil kumar
Sunil Sharma has 3 years of experience in writing Finance Content, Entertainment news, Cricket and more. He has done B.Com in English. He loves to Play Sports and read books in free time. In case of any complain or feedback, please contact me @ informalnewz@gmail.com
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