5 वर्किंग डेज नहीं अब सिर्फ सप्ताह में 3 वर्किंग डेज होंगे जानिए क्या है Bill Gates का मास्टर प्लान बता दें , Microsoft के प्रमुख बिल गेट्स (Bill Gates) को लगता है कि ये अच्छी बात है. उनका मानना है कि AI हमारी मदद करेगा जिससे हमारा काम आसान हो जाएगा. यहां तक कि हो सकता है वर्किंग हफ्ते भी कम हो जाएं और सिर्फ तीन दिन काम करना पड़े.
बहस ये है कि क्या AI हमारी जगह ले लेगी या नहीं, लेकिन ये तय है कि ये हमारे काम को जरूर प्रभावित करेगी. ठीक वैसे ही जैसे इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन ने सब कुछ बदल दिया था, तब मशीनों ने साधारण से साधारण काम संभालना शुरू कर दिया था. उसी तरह AI के साथ, मशीनों का काम अब और स्मार्ट हो जाएगा. मतलब ये कि जो काम आम तौर पर हम इंसान करते हैं, उन्हें अब AI करने लगेगा. Microsoft के प्रमुख बिल गेट्स (Bill Gates) को लगता है कि ये अच्छी बात है. उनका मानना है कि AI हमारी मदद करेगा जिससे हमारा काम आसान हो जाएगा. यहां तक कि हो सकता है वर्किंग हफ्ते भी कम हो जाएं और सिर्फ तीन दिन काम करना पड़े.
अब सिर्फ सप्ताह में 3 दिन करना होगा काम, जानिए क्या Bill Gates का मास्टर प्लान
बिल गेट्स, जो इन दिनों Microsoft की कई AI प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं, जिनमें से कुछ ChatGPT बनाने वाली कंपनी OpenAI के साथ भी हैं, वो AI की अहमियत और इससे होने वाले बदलावों के बारे में खुलकर बात करते रहे हैं. पिछले साल ‘व्हाट नाऊ?’ पॉडकास्ट में ट्रेवर नूह के साथ इंटरव्यू में गेट्स ने बताया कि उन्हें भरोसा है कि AI दफ़्तरों की दुनिया में बड़ा बदलाव ला सकता है – पूरे हफ्ते के सिर्फ तीन दिन काम करना. ये पारंपरिक पांच दिन के काम वाले हफ्ते को चुनौती देता है, जो सालों से चला आ रहा है. गेट्स का कहना है कि ‘अगर भविष्य में ऐसा समाज बन जाए जहाँ हमें हफ्ते में सिर्फ तीन दिन काम करना पड़े, तो शायद ये अच्छी बात ही होगी.’
AI निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका
बिल गेट्स भविष्य की कल्पना कर रहे हैं जहां AI इंसानों के कई तरह के काम, खासकर बार-बार होने वाले और हाथ से किए जाने वाले कामों को अपने हाथ में ले लेगा. ये अच्छा बदलाव होगा. गेट्स के शब्दों में कहें तो, मशीनें ‘खाना बनाना और ऐसे ही दूसरे काम’ करने में माहिर हो सकती हैं. इससे इंसानों का काफी समय बच जाएगा और हो सकता है कि हम काम और जिंदगी के बीच बेहतर संतुलन बिठा पाएं.
बोले- AI से घबराने की जरूरत नहीं
बिल गेट्स ये तो मानते हैं कि AI की वजह से कुछ नौकरियां खत्म हो सकती हैं, लेकिन वो ये भी कहते हैं कि हमें घबराने की जरूरत नहीं है. इतिहास में भी ऐसा होता रहा है. जब पर्सनल कंप्यूटर आए थे, तो दफ्तरों में काम करने का तरीका तो बदला था, लेकिन दफ्तर बंद नहीं हुए थे, और लोगों की नौकरियां भी नहीं गई थीं. उसी तरह, AI भी हमारे काम करने के तरीके को बदल देगा, हमें कुछ चीजें सीखनी होंगी, खुद को ढालना होगा, पर ये जरूरी नहीं कि सबकी नौकरी चली जाएगी. गेट्स का कहना है कि ‘इम्प्लॉयर्स और कर्मचारियों को उस वक्त भी हालात के मुताबिक खुद को बदलना पड़ा था, और उन्होंने बदल लिया.’
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