What is Repo Rate: 5 जून से शुरू हुई तीन दिवसीय एमपीसी मीटिंग के बारे में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि लगातार आठवीं बार केंद्रीय बैंक की तरफ से रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया.
RBI Repo Rate: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गर्वनर शक्तिकांत दास की तरफ से तीन दिन तक चली द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति में लिये गए फैसलों के बारे में जानकारी दी गई. आरबीआई ने लगातार आठवीं बार रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया और नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत के स्तर पर कायम रखा. दास ने बताया कि एमपीसी मीटिंग के दौरान रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया. केंद्रीय बैंक की तरफ से आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था.
RBI ने महंगाई दर के ऊंचे स्तर को लेकर चिंता जताई
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि ब्याज दर में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया. रेपो रेट को पुराने ही स्तर 6.5% पर बरकरार रखा गया है. एमपीसी (MPC) के 6 में से 4 सदस्य दरों में बदलाव के पक्ष में नहीं रहे. उन्होंने कहा कि हम ‘ग्लोबल साउथ’ में रिजर्व बैंक को मॉडल केंद्रीय बैंक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. मुद्रास्फीति वृद्धि संतुलन अनुकूल रूप से आगे बढ़ रहा है. आरबीआई ने खाद्य महंगाई दर के ऊंचे स्तर को लेकर चिंता जताई.
RBI Governor Shaktikanta Das says “The policy repo rate remains unchanged at 6.5%” pic.twitter.com/jWtqCxS3dC
— ANI (@ANI) June 7, 2024
रेपो रेट फरवरी, 2023 से 6.5 प्रतिशत पर ही बरकरार
आरबीआई की तरफ से लिये गए फैसले से आपके होम लोन की ईएमआई पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा. यानी आपको आने वाले महीने में उतनी ही ईएमआई देनी होगी, जितनी अभी आप दे रहे हैं. महंगाई दर को लेकर चिंता के बीच पहले ही यह उम्मीद की जा रही थी केंद्रीय बैंक इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं करेगा. फरवरी, 2023 से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत के स्तर पर ही बरकरार है. एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार मई महीने में महंगाई दर 5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है, इसके आंकड़े जून के दूसरे हफ्ते में आएंगे. इससे पहले अप्रैल में रिटेल महंगाई दर 4.83 प्रतिशत रही थी.
साल में 6 बार होती है मीटिंग
केंद्रीय बैंक की तरफ से हर साल 6 बार मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग होती है. वित्त वर्ष 2024-25 की यह दूसरी एमपीसी की मीटिंग हुई. इस मीटिंग में रिजर्व बैंक की तरफ से महंगाई दर को ध्यान में रखकर रेपो रेट की समीक्षा की जाती है. इस पर किसी भी प्रकार का फैसला लेने से पहले आरबीआई डिमांड, सप्लाई, इंफ्लेशन और क्रेडिट जैसी कई फैक्टर्स को ध्यान में रखता है.
अक्टूबर में कटौती की उम्मीद
जून के बाद अगली एमपीसी की बैठक सितंबर के पहले हफ्ते में होगी. अगली बैठक में भी रेपो रेट की कटौती की उम्मीद कम ही है. अभी महंगाई दर सरकार की तरफ से तय दायरे से बाहर चल रही है. सरकार ने रिजर्व बैंक को महंगाई दर को 2 से 4 प्रतिशत के बीच लाने का लक्ष्य दिया हुआ है. जानकारों को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में कटौती की जा सकती है.
आप पर क्या होता है असर?
आरबीआई की तरफ से रेपो रेट घटाने या बढ़ने का असर बैंकों की तरफ से दिये जाने वाले लोन की ब्याज दर पर पड़ता है. रेपो रेट बढ़ने के बाद बैंकों की तरफ से होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन समेत सभी प्रकार के लोन को महंगा कर दिया जाता है. आसान शब्दों में कहें तो बैंक ब्याज दर बढ़ा देते हैं. लेकिन यदि आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है तो इससे लोन की ब्याज दर कम होती है.
क्या होता है रेपो रेट?
जिस रेट पर आरबीआई की तरफ से बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से महंगे रेट पर लोन मिलेगा. इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन आदि की ब्याज दर बढ़ जाएगी, जिसका आपकी ईएमआई पर सीधा असर पड़ेगा.
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