वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड इन दिनों अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। टीम के कई दिग्गज खिलाड़ी सैलरी को लेकर बोर्ड से हुए मतभेदों की वजह से टीम से बाहर चल रहे हैं जिसकी वजह से टीम की हालत बहुत ही कमजोर है। वेस्टइंडीज कि टीम इन दिनों किसी भी बड़े टूर्नामेंट के लिए क्वलिफ़ाई नहीं कर पा रही है।
बड़े टूर्नामेंट्स में क्वलिफ़ाई नहीं कर पाने की वजह से क्रिकेट बोर्ड के आर्थिक हालात बहुत बिगड़े हुए हैं। आर्थिक तंगी का आलम तो यहाँ तक है कि खिलाड़ियों को कई मैचों फीस नहीं मिल पाती है और उन्हे द्विपक्षीय शृंखलाओं के दौरान सारा खर्च खुद ही उठाना पड़ता है।
वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड से अलग हो सकते हैं सभी देश
जैसा कि आपको पता ही होगा की वेस्टइंडीज नाम का कोई भी देश मौजूद नहीं है । यह तो उत्तरी अमेरिका में क्रिकेट खेलने वाले कुछ द्वीपों का एक समूह है जिसे संयुक्त रूप से वेस्टइंडीज का नाम दिया गया है। वेस्टइंडीज के अंदर जमैका, बारबाडोस, त्रिनिनाद एण्ड तबैगो जैसे प्रसिद्ध देश सम्मिलित हैं। इन सभी द्वीपों के खिलाड़ियों को एक टीम में सद्भाव बना कर रखने में वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड को बहुत परेशानी होती थी और हमें आए दिन ये खबर सुनने को मिलती थी कि कैरेबियन क्रिकेट टीम में गुटबाजी होती है।
वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड के खिलाड़ियों का कई दिनों से अपने बोर्ड से विभिन्न मुद्दों को लेकर विवाद चल रहा था और इसी वजह से इस टीम के कई स्टार खिलाड़ी नेशनल ड्यूटी की बजाय लीग क्रिकेट को ज्यादा तवज्जो देते हैं। अब यह खबर सुनने में आ रही है कि वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड टूटकर बिखरेने वाला है और इससे अलग होने वाले सभी द्वीप अपनी अलग क्रिकेट टीम का निर्माण करेंगे।
खराब आर्थिक हालत बनी वजह
इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड के अंदर फाइनेंशियली क्राइसिस चल रही थी । अब जाहिर सी बात है कि बिना अच्छी परफ़ॉर्मेंस के कोई भी ब्रांड इनसे अपना प्रमोशन क्यों कराए। इसके अलावा भी सभी द्वीपों की सरकारें भी खिलाड़ियों कि आर्थिक मदद करने में सक्षम नहीं थीं ।
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