सफ़ेद बाल: हल्दी, कॉफ़ी और एलोवेरा से बने प्राकृतिक हेयर डाई के फ़ायदे और अर्चना शर्मा द्वारा सुझाई गई बनाने की विधि जानें। अपने बालों को बिना नुकसान पहुँचाए स्वस्थ रखें।
हल्दी, कॉफ़ी और एलोवेरा से बना प्राकृतिक हेयर डाई बहुत लोकप्रिय है। चूँकि यह डाई पूरी तरह से केमिकल-मुक्त है, इसलिए यह बालों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाती। इसके अलावा, यह बालों को प्राकृतिक पोषण प्रदान करती है और सफ़ेद बालों को ढककर उन्हें काला करने में मदद करती है। स्थानीय लोग पीढ़ियों से इस तरीके का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। अब, यह पारंपरिक तरीका फिर से लोकप्रिय हो रहा है और आधुनिक समय में केमिकल से होने वाली समस्याओं से परेशान कई लोग इसका इस्तेमाल करने लगे हैं।
इस प्राकृतिक रंग का इस्तेमाल करने वाली अर्चना शर्मा के अनुसार, इसे बनाना बेहद आसान है। यह रंग हमारी रसोई में मौजूद साधारण सामग्री से बनाया जा सकता है। बनाने की विधि भी ज़्यादा जटिल नहीं है। सबसे पहले, धीमी आँच पर एक लोहे की कड़ाही में हल्दी डालें। फिर उसमें कॉफ़ी पाउडर डालें। जब यह मिश्रण गहरा काला हो जाए, तो इसमें एलोवेरा जेल और नारियल तेल मिलाकर प्राकृतिक रंग तैयार कर लें।
इस मिश्रण में मौजूद हर सामग्री की अपनी विशेषता है। एलोवेरा जेल और नारियल तेल बालों को ज़रूरी पोषक तत्व प्रदान करते हैं। ये बालों का झड़ना रोकते हैं और जड़ों को मज़बूत बनाते हैं। हल्दी के गुण स्कैल्प को ठंडक पहुँचाते हैं और स्कैल्प में होने वाले संक्रमण को रोकते हैं। कॉफ़ी पाउडर बालों को प्राकृतिक काला रंग देता है। इन तीनों सामग्रियों को मिलाकर बने पेस्ट को स्कैल्प पर लगाने से बाल मुलायम और घने हो जाते हैं।
आजकल बहुत से लोग केमिकल से बने हेयर डाई का इस्तेमाल करते हैं। हालाँकि, इनसे बालों का झड़ना, रूसी, सिर में खुजली और कभी-कभी एलर्जी भी हो सकती है। इसी वजह से लोग फिर से इन प्राकृतिक, घर पर बने देसी रंगों की ओर रुख कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में ही नहीं, शहरों में भी अब कई लोग इस तरीके को आजमा रहे हैं।
अर्चना शर्मा के अनुसार, यह रंग न केवल बालों को काला करने के लिए है, बल्कि बालों को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। इससे बाल मज़बूत और चमकदार बनते हैं। साथ ही, इनका प्राकृतिक काला रंग लंबे समय तक बरकरार रहता है। इस तरह, यह न केवल एक सौंदर्य टिप है, बल्कि हमारी परंपराओं को संरक्षित करने का एक तरीका भी है।
पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही यह परंपरा अब नई पीढ़ियों तक पहुँच रही है। यह प्राकृतिक रंग न केवल बालों को सुंदर बनाता है, बल्कि उन्हें स्वस्थ भी रखता है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक के लोग इसे फिर से अपना रहे हैं। रसायनों के हानिकारक प्रभावों से दूर रहकर, बालों की सुंदरता और स्वास्थ्य बनाए रखने का यह एक सस्ता, आसान और पारंपरिक तरीका बन गया है।
(अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। hindi.informalnewz ने इसकी पुष्टि नहीं की है। कृपया इन्हें लागू करने से पहले संबंधित विशेषज्ञों से परामर्श लें)