Petrol and Diesel Prices: दुनिया में बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच ओपक देशों ने एक बड़ा फैसला लिया है और तेल की कीमतों में बदलाव करने को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की है, इसका इसर भारत पर भी देखने को मिलेगा। उनका उद्देश्य रूस को टार्गेट करना है।
जब से रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू है, दुनिया भर में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। कभी तेल के दाम कम हो रहे हैं, कभी बढ़ रहे हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इंधन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है। ऐसे में एक खबर ओपेक देशों के बीच से भी आई है। उन्होंने तेल उत्पादन को लेकर बड़ा फैसला लिया है, जिसका असर कई देशों पर पड़ेगा।
ओपेक देश ने लिया ये फैसला
रूस के खिलाफ नए पश्चिमी प्रतिबंधों के असर को लेकर अनिश्चितता के बीच सऊदी के नेतृत्व वाले ओपेक और अन्य संबद्ध तेल उत्पादकों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए तेल आपूर्ति के अपने लक्ष्य को नहीं बदला है। इन देशों में रूस भी शामिल है। ओपेक और अन्य संबद्ध देशों के पेट्रोलियम मंत्रियों की रविवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया है।
रूसी तेल के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल
यह फैसला ऐसे वक्त में किया गया है कि जब सोमवार से रूस के तेल पर मू्ल्य सीमा लागू होने जा रही है। ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, अमेरिका और 27 देशों के यूरोपीय संघ ने शुक्रवार को रूसी तेल के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा तय की थी। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के कार्यालय ने पश्चिमी देशों द्वारा रूसी तेल की कीमत और कम करने की मांग की है, जबकि रूसी अधिकारियों ने 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा को मुक्त और स्थिर बाजार के लिए हानिकारक बताया है।
भारत के लिए भी खतरा
अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इन प्रतिबंधों से रूसी तेल की पहुंच वैश्विक बाजार से कितनी दूर हो सकती है। यदि प्रतिबंधों का असर हुआ तो तेल आपूर्ति में कमी आएगी और कीमतें बढ़ेंगी और इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है, क्योंकि भारत ने भी अपनी तेल आपूर्ति के लिए रूस से तेल की खरीद बढ़ाई थी। दूसरी ओर वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका के चलते तेल की मांग कम होने की भी आशंका है, जिसके चलते कीमतों पर दबाव बना है। बता दें, आज दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 96.72 पैसा है। वहीं पटना में इसके लिए 107.24 रुपये चुकाना पड़ रहा है।