The threat of cybercrime : आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी AI काफी पॉपुलर हो रहा है. ऐसा माना जा रहा है भविष्य में इसका बढ़-चढ़कर इस्तेमाल किया जाएगा. लेकिन, इसका इस्तेमाल गलत गतिविधियों के लिए भी किया जा रहा है. साइबर अपराधी इसका इस्तेमाल डेटा ब्रीच के लिए भी करते हैं, जिससे कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है.
साइबर हमलों और डेटा चोरी की वजह से दुनिया भर की कंपनियों को लाखों करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. जूनिपर रिसर्च की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक ये खतरा लगातार बढ़ रहा है. डेटा ब्रीच की लागत सालाना 11% बढ़ने की उम्मीद है, जो हर साल 3 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 5 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो सकता है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
कंपनियों को सिर्फ आर्थिक नुकसान ही नहीं होता, बल्कि डेटा चोरी
कंपनियों को सिर्फ आर्थिक नुकसान ही नहीं होता, बल्कि डेटा चोरी के लिए जुर्माना भी भरना पड़ता है. दुनिया भर के देशों में डेटा की सुरक्षा के लिए सख्त नियम बन रहे हैं. इन देशों में भारत भी शामिल है.
AI के इस्तेमाल से साइबर का खतरा
साइबर अपराधी भी अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI का इस्तेमाल कर रहे हैं. वे AI की मदद से सिक्योरिटी सिस्टम को समझकर उन्हें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे सिक्योरिटी एक्सपर्ट एआई का इस्तेमाल खतरों को पहचानने के लिए करते हैं.
AI टूल्स का इस्तेमाल साइबर अपराधियों…
आने वाले समय में फेक वीडियो और फोटो बनाने वाले AI टूल्स का इस्तेमाल साइबर अपराधियों द्वारा किया जा सकता है. क्योंकि आजकल लोग अपने डेटा और सोशल मीडिया अकाउंट्स को सुरक्षित रखने के लिए बायोमेट्रिक और फेशियल रिकग्निशन का इस्तेमाल कर रहे हैं. कई कंपनियां अभी भी साइबर सुरक्षा के मामले में गंभीर नहीं हैं. उनके कर्मचारी सही तरीके से काम नहीं करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सभी कंपनियों को साइबर अपराधों के खतरों को समझना चाहिए और उन्हें रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए.
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