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Income Tax Returns: अपनाएं ITR Filing करने का ये प्रोसेस, मिलेगा दोगुना रिटर्न , जानिए स्टेप बाय स्टेप पूरा प्रोसेस

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अपनाएं ITR Filing करने का ये प्रोसेस, मिलेगा दोगुना रिटर्न , जानिए स्टेप बाय स्टेप

Income Tax Returns: आईटीआर दाखिल करते समय रिफंड राशि की गणना की जाती है और कर अधिकारियों द्वारा प्रोसेस करने के बाद इसे निर्धारित खाते में जमा किया जाता है. यहां जानें अधिकतम रिफंड पाने के आसान तरीके…

यहां जानें अधिकतम रिफंड पाने के 5 आसान तरीके

Income Tax Returns: आईटीआर दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई 2023 है. इस महत्वपूर्ण काम को जल्द से जल्द निपटा लें. आयकर विभाग ने भी ट्वीट कर समय से आईटीआर फाइल करने को कहा है. वहीं, ऐसे करदाता जिन्होंने अपनी वित्तीय देनदारी से ज्यादा टैक्स भरा हैं, वे रिफंड के पात्र हैं.

विशेषज्ञों के मुताबिक यह गलत धारणा है कि कोई व्यक्ति फॉर्म 16 में दर्शाई गई राशि से अधिक टैक्स नहीं बचा सकता है. फॉर्म 16 संभावित बचत का एकमात्र स्रोत नहीं है. रिटर्न दाखिल करने से पहले 26एएस, वार्षिक सूचना विवरण यानी एआईएस और करदाता सूचना सारांश यानी टीआईएस के साथ आय डिटेल्स चेक करें कि क्या स्रोत पर काटा गया टैक्स 26एएस में दर्शाया गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर कर देनदारी के खिलाफ टीडीएस का दावा किया जा सके.

1. समय पर भरें आईटीआर

जुर्माने से बचने के लिए समय पर अपना रिटर्न दाखिल करना जरूरी है. वहीं, यह अधिकतम रिफंड पाने का सबसे आसान तरीका भी है. करदाता को आईटी अधिनियम की धारा 139(1) के तहत निर्धारित तारीख तक रिटर्न फॉर्म जमा करना होता है.

2. सही टैक्स रिजीम चुनें

करदाता अपना आईटीआर दाखिल करते समय वह टैक्स रिजीम चुनें जो आपकी जरूरतो के अनुरूप हो. अगर आपके पास पीपीएफ, बीमा पॉलिसी या इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम जैसे पर्याप्त लॉन्ग टर्म निवेश, होम लोन या हेल्थ इंश्योरेंस पर ब्याज जैसी पात्र कर कटौती नहीं है, तो नई कर व्यवस्था लागू हो सकती है.

3. अपना ई-रिटर्न करें वैरिफाई

आईटीआर दाखिल करने के 30 दिनों के अंदर टैक्स रिटर्न वैरिफाई करना होगा. ऐसा न करने पर इसे अमान्य माना जाएगा और करदाता को दोबारा आईटीआर जमा करना होगा.
टैक्स रिटर्न आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर भेजे गए ओटीपी, नेट बैंकिंग, बैंक खाते के जरिए ईवीसी और बैंक एटीएम से ईवीसी के जरिए ई-वैरिफाई किया जा सकता है.

4. कटौती और छूट का दावा

करदाताओं को उन कटौतियों और छूटों की पहचान करनी चाहिए, जिनका वे दावा कर सकते हैं. यह राशि टैक्स योग्य आय को कम करती है और रिफंड बढ़ाती है. पीपीएफ, एनएससी, एनपीएस, लाइफ और हेल्थ बीमा प्रीमियम और होम लोन पर ब्याज स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए पात्र हैं.
किसी व्यक्ति को केवल फॉर्म 16 में दर्शाई गई कटौतियों को नहीं गिनना चाहिए. उन्होंने कई कर-बचत खर्च किए होंगे जो फॉर्म 16 में प्रतिबिंबित नहीं होते हैं, जैसे बच्चों की स्कूल ट्यूशन फीस आदि.

5. रिटर्न दाखिल करने से पहले खाता वैरिफाई कराना है जरूरी

अपने बैंक अकाउंट को वैरिफाई करें और सुनिश्चित करें कि यह आयकर रिटर्न पोर्टल पर सही ढंग से सत्यापित है. वेरिफिकेशन प्रोसेस जरूरी है, क्योंकि अधिकारी केवल ई-फाइलिंग पोर्टल पर मान्य खातों में ही रिफंड जमा करते हैं.

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