टैक्सपेयर्स टैक्स बचाने के लिए सबसे ज्यादा इ्स्तेमाल सेक्शन 80सी के तहत आने वाले इंस्ट्रूमेंट्स का करते हैं। लेकिन, इसके अलावा भी टैक्स बचाने के कई विकल्प हैं
टैक्स बचाने यानी टैक्स-सेविंग्स के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी का होता है। इसके तहत करीब एक दर्जन इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं। इनमें लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, म्यूचुअल फंड्स की ईएलएसस, पीपीएफ, एनपीएस, सुकन्या समृद्धि योजना आदि शामिल हैं। दो बच्चों की ट्यूशन फीस पर डिडक्शन क्लेम करने की सुविधा भी सेक्शन 80सी के तहत मिलती है। कुल मिलाकर 80सी के तहत एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। अगर आप इस पूरी लिमिट का इस्तेमाल करते हैं तो आपको 5 ऐसे तरीकों के बारे में बता रहा है, जो सेक्शन 80सी से अलग हैं।
1. NPS में कंट्रिब्यूशन से टैक्स सेविंग्स
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत आने वाले इंस्ट्रूमेंट्स में शामिल है। इसके तहत सालाना 1.5 लाख का कंट्रिब्यूशन एनपीएस में कर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इसके अलावा सेक्शन 80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में अतिरिक्त 50,000 का कंट्रिब्यूशन कर टैक्स बचाया जा सकता है। ज्यादा टैक्स स्लैब में आने वाले टैक्सपेयर्स इसका इस्तेमाल टैक्स सेविंग्स के लिए कर सकते हैं। 30 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में आने वाला टैक्सपेयर्स इस सेक्शन का इस्तेमाल कर 15,600 रुपये की टैक्स-सेविंग्स कर सकता है। इस अमाउंट में 4 फीसदी एजुकेशन सेस शामिल है।
2. हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम पर डिडक्शन
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80डी के तहत हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम पर डिडक्शन की इजाजत है। इसका मतलब है कोई व्यक्ति खुद, अपनी पत्नी और बच्चों के लिए हेल्थ पॉलिसी खरीदकर उसके प्रीमियम पर डिडक्शन क्लेम कर सकता है। इसके अलावा वह अपने माता-पिता के लिए हेल्थ पॉलिसी खरीदकर उसके प्रीमियम पर भी डिडक्शन क्लेम कर सकता है। खुद और अपने परिवार के लिए हेल्थ पॉलिसी पर सालाना 25,000 रुपये के प्रीमियम पर डिडक्शन की इजाजत है। अगर माता-पिता की उम्र 60 साल से कम है तो उनके लिए पॉलिसी खरीदकर अतिरिक्त 25,000 रुपये का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। माता-पिता अगर सीनियर सिटीजंस हैं तो मैक्सिमस 50,000 रुपये के प्रीमियम पर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है।
3. एजुकेशन लोन पर टैक्स सेविंग्स
आजकल हायर एजुकेशन के लिए लोन लेना आम बात हो गई है। एजुकेशन लोन के इंटरेस्ट पर सेक्शन 80ई के तहत डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत है। एजुकेशन लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन का दावा स्टूडेंट या उसके पेरेंट की तरफ से किया जा सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि होम लोन की EMI का पेमेंट कौन करता है। इस सेक्शन के तहत एक फाइनेंशियल ईयर में डिडक्शन क्लेम करने के लिए कोई लिमिट तय नहीं है।
4. होम लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन
होम लोन के इंटरेस्ट पेमेंट पर डिडक्शन का दावा किया जा सकता है। इसकी इजाजत इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24(बी) के तहत दी गई है। होम लोन लेने वाला व्यक्ति होम लोन के इंटरेस्ट पर एक वित्त वर्ष में मैक्सिमम 2 लाख रुपये इंटरेस्ट पर डिडक्शन क्लेम कर सकता है। शर्त यह है कि यह लोन खुद के रहने के लिए घर खरीदने के लिए लिया गया हो। अगर घर खुद के रहने के लिए इस्तेमाल नहीं हो रहा है और किराया पर दिया गया है या उसे किराया पर दिया गया मान लिया जाता है तो उसके लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन क्लेम करने के लिए कोई लिमिट तय नहीं है।
5. परिवार के दिव्यांग सदस्य के मेडिकल एक्सपेंसेज पर डिडक्शन
अगर परिवार का कोई सदस्य दिव्यांग है तो उसके मेडिकल एक्सपेंसेज पर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इसकी इजाजत सेक्शन 80डीडी के तहत दी गई है। शर्त यह है कि दिव्यांग व्यक्ति आर्थिक रूप से आप पर निर्भर होना चाहिए तभी आप उसके मेडिकल एक्सपेंसेज पर डिडक्शन क्लेम कर सकेंगे। इनकम टैक्स के नियम में डिपेंडेट्स के तहत पति/पत्नी, बच्चे, माता-पिता और भाई-बहन को शामिल किया गया है।
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