SpiceJet new scheme: इस नई स्कीम की बात करें तो यह सेवा पैसेंजर्स को उनकी बुकिंग रिजर्व करने में सक्षम बनाती है. ताकि चुनी हुई फ्लाइट में टिकट मिलना सुनिश्चित होने के साथ उनके सफर की तैयारियों को आखिरी रूप देते समय किराया भी न बढ़े.
Read Also: iPhone 15: Apple ने शुरू की iPhone 15 की तैयारी! ये होंगे मॉडल और फीचर्स
SpiceJet fare lock offer: एविएशन कंपनी स्पाइसजेट ने गुरुवार को ‘स्पाइसलॉक’ (SpiceLock) को फिर से शुरू करने की घोषणा की, जो अपने आप में एक अनूठी सेवा है. इससे यात्रियों को बिना नाम के 48 घंटे के लिए अपना वांछित किराया लॉक करने की सुविधा मिलती है. इस प्रकार कंपनी के यात्रियों को किराया महंगा होने, सीटों की उपलब्धता या सह-यात्रियों को अंतिम रूप देने की चिंता किए बिना अपनी ट्रिप प्लान करने में मदद मिलती है.
फेयर लॉकिंग सेवा के कई फायदे
इस फेयर लॉकिंग सर्विस की बात करें तो ये सेवा अपने पैसेंजर्स को उनकी बुकिंग रिजर्व करने में सक्षम बनाती है ताकि चुनी हुई फ्लाइट की सभी टिकट बिक न जाए. वहीं यात्रा की प्लानिंग को आखिरी रूप देते समय किराया भी न बढ़े. इस स्कीम का फायदा नाम के साथ या बिना नाम के भी उठाया जा सकता है, जिससे यह अतिरिक्त सुरक्षित और सुविधाजनक हो जाता है.
घरेलू और इंटरनेशनल दोनों रूट पर होगा फायदा
स्पाइसजेट द्वारा संचालित घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों उड़ानों में उड़ान भरने वाले यात्री अब सुनिश्चित सीट और मूल्य सुरक्षा के साथ इस सेवा का आनंद ले सकते हैं. यह सेवा उन उड़ानों के लिए लागू होगी है जहां यात्रा की तारीख डोमेस्टिक फ्लाइट की बुकिंग की तारीख से कम से कम सात दिन और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए 15 दिन है.
गौरतलब है कि इन दिनों इस कंपनी की हालत बहुत खराब है. कंपनी फंड की किल्लत का सामना कर रही है. स्पाइसजेट को 30 जून को समाप्त तिमाही में 784 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि एक साल पहले कंपनी को 731 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. मार्च को समाप्त तिमाही में कंपनी को 485 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. इन्ही चुनौती भरे कुछ हालातों से पार पाने के लिए एयरलाइन ने आशीष कुमार को अपना सीएफओ यानी मुख्य वित्तीय अधिकारी नियुक्त किया है. आशीष कुमार ने संजीव तनेजा की जगह ली है, जिन्होंने 31 अगस्त को अपना पद छोड़ दिया था. स्पाइसजेट में शामिल होने से पहले आशीष कुमार जनवरी 2019 से इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज में वाइस प्रेसिडेंट (कॉर्पोरेट फाइनेंस) के रूप में काम कर रहे थे.