Dangerous levels of air pollution are making people sick : वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर लोगों को बीमार कर रहा है। अगर आप सोच रहे हैं कि सिर्फ प्रदूषण जब तक है आपको समस्या हो रही है। प्रदूषण का लेवल कम होने पर आप खतरे से बाहर हैं। तो ये गलत है। प्रदूषण आपके शरीर को धीरे-धीरे बीमार बना रहा है। प्रदूषण की वजह से लिवर, दिल और यहां तक कि आपकी प्रजनन क्षमता पर असर पड़ रहा है। लंबे समय तक वायु प्रदूषण में रहने वाले लोगों की औसत आयु भी कम हो रही है। अगर वायु प्रदूषण के खतरे को गंभीरता से नहीं लिया तो इसका खामियाजा हमारी आने वाली पीढ़ी भुगतेगी।
वायु प्रदूषण का सेहत पर असर
वायु प्रदूषण से हमारे शरीर पर काफी हानिकारक प्रभाव पड़ते है। इससे हमारी बॉडी के लगभग सभी अंग प्रभावित होते हैं। बढ़ते प्रदूषण की वजह से सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। कुछ लोगों को सिर दर्द, आखों में जलन और स्किन एलर्जी की समस्या होने लगती है।
इतना ही नहीं वायु प्रदूषण से एंग्जायटी या डिप्रेशन जैसी गंभीर समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। ये सब ओजोन पार्टिकुलेट मैटर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे पोल्यूटेंट्स के कारण होता है। जब हमारे शरीर में ये खतरनाक पोल्यूटेंट्स ज्यादा मात्रा में पहुंचते हैं तो कई खतरनाक रोग पैदा करते हैं।
प्रदूषण से बढ़ा इंफर्टिलिटी का खतरा
बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से कई खतरनाक समस्याएं पैदा हो रही हैं। जिसमें महिला और पुरुष में बढ़ती इंफर्टिलिटी की समस्या भी प्रमुख है। महानगरों में रहने वाले लोगों में इंफर्टिलिटी की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जिसका बड़ा कारण प्रदूषण है। प्रदूषण में रहने के कारण पुरुष और महिलाओं की प्रजनन क्षमता कम हो रही है।
प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा फेफड़ों पर असर पड़ता है। जिससे अस्थमा और लंग कैंसर का खतरा बढ़ता है। कई रिसर्च में पता चला है कि वायु प्रदूषण से लोगों में हार्ट स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याएं भी जन्म ले रही है। वायु प्रदूषण का असर आपके दिल पर भी पड़ रहा है। वहीं पेट की बीमारियों का खरता भी होने लगा है। लंबे समय तक प्रदूषित वायु में रहने वाले लोगों के खून में भी कई खतरनाक विकार हो सकते है।
इसके अलावा ब्लड क्लॉटिंग और डायबिटीज के मरीज पर इंसुलिन दवाओं का असर कम होने की वजह भी प्रदूषण हो सकता है। वहीं प्रदूषण की वजह से महिलाओं में प्रीमेच्योर या फिर नवजात शिशु के वजन कम होने की समस्या भी हो सकती है। ज्यादा प्रदूषण वाले एरिया में रहने वाले लोगों के बच्चों में विकलांगता का खतरा भी बढ़ जाता है।
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