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“निरंतर प्रयास के बाद भी असफलता क्यों मिलती है?” प्रेमानंद महाराज ने बताया कारण और निवारण

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"निरंतर प्रयास के बाद भी असफलता क्यों मिलती है?" प्रेमानंद महाराज ने बताया कारण और निवारण

वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज सत्संग के माध्यम से लोगों का मार्गदर्शन करते हैं और जीवन जीने की कला सिखाते हैं। महाराज जी राधा रानी को अपनी इष्ट मानते हैं। इनके पास लोग अपनी समस्या लेकर आते हैं। महाराज जी उन समस्याओं का समाधान बताते हैं। उनके प्रवचन काफी अध्यात्मिक और तार्किक होते हैं।

असफलता पर सवाल

ऐसे ही एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज जी से पूछा कि काफी समय से निरंतर प्रयास करने के बाद भी असफलता क्यों मिल रही है? चलिए जानते हैं कि महाराज जी ने क्या जवाब दिया।

पूर्व पाप को नष्ट करो

प्रेमानंद महाराज ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं कि पूर्व प्रारब्ध, पूर्व पाप। उसको नष्ट करो।

पाप को नष्ट करने के लिए क्या करें?

महाराज जी आगे कहते हैं तीर्थयाटन, स्त्रोत्रों का गान, नामजप, परोपकार, इसी के द्वारा उसको परास्त किया जाता है। इसे करो और ज्यादा बढ़ाओ।

असफलता के कारण

महाराज जी कहते हैं कि परोपकार बढ़ाओ, बड़े-बूढ़ों की सेवा करो। कोई नशा न करो, पराई माता-बहनों की तरफ गंदी दृष्टि मत रखो। ये सब असफलता के कारण बनते हैं।

गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें

उन्होंने कहा कि गजेंद्र मोक्ष का पाठ करो। देखो कौन सा संकट तुम मिटा नहीं सकते। गजेंद्र मोक्ष है एक भागवत में। इसका पाठ करके देखो, हर संकट की निवृत्ति हो जाएगी।

महाराज जी ने सरल तरीके से समझाया

प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि लेकिन इस बात को आपको समझना होगा कि आपका संकट है 500 ग्राम का और पाठ हुआ अभी 50 ग्राम का, तो 450 ग्राम अभी बाकी है।

शुरू होगा मंगल

महाराज जी ने कहा कि जब हम इतना पाठ कर लेंगे कि 500 के ऊपर चले जाएं, तब हमारा मंगल शुरू हो जाएगा।

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