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ITR Filing 2024-25: टैक्सपेयर्स जान लें ये नियम मिलेगा ज्यादा टैक्स रिफंड, जानें कैसे

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ITR Filing 2024-25: टैक्सपेयर्स जान लें ये नियम मिलेगा ज्यादा टैक्स रिफंड, जानें कैसे

ITR Filing 2024-25: वित्त वर्ष 2023-24 और एसेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2024 है। अगर आप अधिक से अधिक टैक्स रिफंड चाहते हैं तो आपके लिए यहां बताई गईं रणनीतियां कारगर साबित होंगी।

ITR Filing 2024-25: वित्त वर्ष 2023-24 और एसेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2024 है। वेतनभोगी व्यक्ति के लिए उनकी कंपनी या नियोक्ता ने फॉर्म 16 जारी कर दिया होगा या जल्द कर दिया जाएगा। जब फॉर्म 16 मिल जाता है तो वे आसानी से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर देंगे। अगर आप अपना ITR दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं और आप पहले से चुकाए गए टैक्स के आधार पर इनकम टैक्स रिफंड के हकदार हैं। इसे आप अधिक से अधिक पाना चाहते हैं तो यहां बताई गईं रणनीतियां कारगर साबित हो सकती हैं। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 237 किसी टैक्सपेयर को भुगतान किए गए इनकम टैक्स रिफंड का दावा करने की अनुमति देती है।

कटौतियों और छूटों का लें लाभ

प्रत्येक टैक्सपेयर को अपने इनकम टैक्स रिटर्न को प्रस्तुत करते समय सभी उपलब्ध कटौतियों और छूटों का क्लेम करके अपने टैक्स दायित्व को कम करने का प्रयास करना चाहिए। हालांकि टैक्स रिजीम आवासीय स्थिति आदि पर विचार करने के बाद ऐसी कटौती या छूट राशि की सही गणना की जानी चाहिए।

फॉर्म 26AS/AIS/TIS का करें मिलान

इनकम टैक्स रिफंड जारी करने का मुख्य कारण TDS और TCS की वजह से चुकाया गया अतिरिक्त टैक्स है। इस प्रकार राजस्व अधिकारियों के रिकॉर्ड और टैक्सपेयर के रिकॉर्ड के अनुसार TDS और TCS की राशि में कोई भी अंतर टैक्सपेयर को कम रिफंड दे सकती है। इसलिए फॉर्म 26AS और AIS के बीच किसी भी अंतर का पता लगाने वाले टैक्सपेयर को AIS में त्रुटि होने पर उसे सुधारने के लिए पोर्टल पर फीडबैक देना चाहिए और फॉर्म 26AS में त्रुटि होने पर टैक्सपेयर को कटौतीकर्ता को अंतर के बारे में सूचित करना चाहिए और उनसे अपनी ओर से त्रुटियों और चूक को सुधारने का अनुरोध करना चाहिए।

इनकम टैक्स के हर इंफॉर्मेशन पर रखें नजर

किसी भी पिछले वित्तीय वर्ष की किसी भी बकाया डिमांड के लिए रिफंड के किसी भी एडजस्टमेंट की जांच करें। राजस्व अधिकारी अक्सर पिछले वर्ष की बकाया डिमांड के विरुद्ध चालू वर्ष के लिए रिफंड को समायोजित करते हैं। इस प्रकार टैक्सपेयर को ऐसे किसी भी रिफंड एडजस्टमेंट की सूचना के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 245 के तहत जारी की गई किसी भी इंफॉर्मेशन पर नजर रखनी चाहिए।

इनकम टैक्स रिटर्न का समय पर करें ई-वेरिफिकेशन

इनकम टैक्स रिटर्न जो निर्धारित समय के भीतर वेरिफिकेशन नहीं किया जाता है उसे अमान्य माना जाएगा। चूंकि ई-वेरिफिकेशन टैक्स रिटर्न को वेरिफाई करने का सबसे सुविधाजनक और तेज तरीका है, इसलिए टैक्सपेयर्स को रिटर्न प्रस्तुत करने की तारीख से 30 दिनों के भीतर टैक्स रिटर्न को ई-वेरिफिकेशन करना चाहिए। वैकल्पिक रूप से, ITR-V की प्रति CPC बैंगलोर को भेजकर भी इनकम टैक्स रिटर्न को वेरिफिकेशन किया जा सकता है।

बैंक अकाउंड डिटेल का पुनर्मूल्यांकन

इनकम टैक्स रिफंड प्राप्त करने के लिए टैक्सपेयर्स को अपने नाम, मोबाइल नंबर और पैन का इस्तेमाल करके अपने बैंक खातों को प्री-वेरिफाई करने की जरुरत है। इसके अलावा टैक्सपेयर्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इनकम टैक्स रिटर्न प्रस्तुत करते समय बैंक डिटेल (जैसे अकाउंट नंबर, IFSC कोड) सही ढंग से प्रदान किए गए हैं।

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