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ITR Filing 2024: ITR फाइल करने के लिए सैलरीड लोगों के इस साल चाहिए कौनसा फॉर्म? यहाँ जानें

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ITR Filing 2024: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के लिए छह हफ्ते से भी कम समय बचा है। क्या आपको पता है कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए आपको कौनसा फॉर्म भरना है। सैलरी क्लास को कौनसा फॉर्म भरना होगा

ITR Filing 2024:  इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के लिए छह हफ्ते से भी कम समय बचा है। क्या आपको पता है कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए आपको कौनसा फॉर्म भरना है। सैलरी क्लास को कौनसा फॉर्म भरना होगा। प्रोफेशनस और बिजनेसमैन के लिए कौनसा फॉर्म इनकम टैक्स जमा करने के लिए भरना होता है। यहां आपको बता रहे हैं कि आपके काम, इनकम टाइप और नौकरी के आधार पर इस साल 31 जुलाई तक आपको कौनसा फॉर्म भरना है।

टैक्सपेयर को आईटीआर-1 (सहज), आईटीआर-2, आईटीआर-3 और आईटीआर-4 (सुगम) में से अपने लिए सही फॉर्म को चुनना जरूरी होता है। ज्यादातर कंपनियों ने कर्मचारियों को फॉर्म 16 देना शुरू कर दिया है। सैलरीड कर्मचारी को रिटर्न फाइल करने के लिए फॉर्म16 चाहिए होता है।

आईटीआर-1: सैलरी क्लास के काम आएंगे ये फॉर्म

सैलरीड इंडिविजुअल आईटीआर-1 और आईटीआर-2 में से किसी एक को चुनना होगा। आईटीआर-1 को सहज भी कहा जाता है। यह आसान फॉर्म है जिसका इस्तेमाल रेजिडेंट, सैलरीड टैक्सपेयर्स या पेंशनर्स कर सकते हैं। शर्त यह है कि उनकी इनकम एक फाइनेंशियल ईयर में 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। दूसरी शर्त यह है कि उनकी सिर्फ एक हाउस प्रॉपर्टी होनी चाहिए, एग्रीकल्चर इनकम 5000 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। उन्हें सेविंग्स या फिक्स्ड डिपॉजिट, डिविडेंड्स और फैमिली पेंशन से इनकम हो सकती है। यह फॉर्म प्री-फिल्ड होता है। इसमें पर्सनल इंफॉर्मेशन, इनकम डिटेल और फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन के डेटा पहले से भरे होते हैं। लेकिन, टैक्सपेयर को पहले से भरे गए डेटा को अपने फॉर्म 16, फॉर्म 26AS और एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट से मिला लेना चाहिए। उसके बाद ही ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने का प्रोसेस करना चाहिए।

आईटीआर-2: कॉम्प्लेक्स फाइनेंशियल डीलिंग्स

अगर आप सैलरीड इंडिविजुअल हैं यानी आपकी इनकम का स्रोत सैलरी है और आपकी सैलरी 50 लाख रुपये से ज्यादा है, आपकी बिजनेस या प्रोफेशन से इनकम नहीं है। इनकम के एक से ज्यादा स्रोत हैं, फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन हैं तो आप आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकते। इसका मतलब यह है कि अगर आप आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकते तो आपको आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा।

उदाहरण के लिए अगर आप रेजिडेंट या नॉन-रेजिडेंट हैं लेकिन ऑर्डनरिली रेजिडेंट (RNOR) नहीं हैं और सैलरीड इंडिविजुअल और पेंशनर्स हैं तो आप आईटीआर-2 का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर फाइनेंशियल ईयर के दौरान किसी तरह का कैपिटल गेंस हुआ तो भी आपको इसी फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा। अगर आप किसी कंपनी में डायरेक्टर हैं, आपके पास अनलिस्टेड कंपनी के स्टॉक्स या ईसॉप्स हैं और आपका विदेश में बैंक अकाउंट और प्रॉपर्टी है तो आपको आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा।

आईटीआर-3: बिजनेसमैन को चाहिए होगा ITR3

ऐसे इंडिविजुअल जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से इनकम है तो उन्हें इस फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा। आपकी इनकम के दूसरे स्रोतों में सैलरी या पेंशन, कैपिटल गेंस, हाउस प्रॉपर्टी आदि हो सकते हैं। आसान शब्दों में कहा जा सकता है कि ऐसे इंडिविजुअल्स जो आईटीआर-1, आईटीआर-2 और आईटीआर-4 का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, वे आईटीआर-3 का इस्तेमाल कर सकते हैं।

ITR-4(सुगम): प्रोफेशनल्स के आएगा काम

रेजिडेंट इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) या फर्में (लेकिन एलएलपी नहीं) जिनकी इनकम 50 लाख रुपये तक है वे इस फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। सुगम के इस्तेमाल से रिटर्न फाइल करना अनिवार्य नहीं है। यह एक विकल्प है, जो छोटे कारोबारी या प्रोफेशनल्स को दिया गया है। इस फॉर्म को फाइल करना आसान है और इसमें डॉक्युमेंट्स की कम जरूरत पड़ती है। इस फॉर्म का इस्तेमाल कर आप बिजनेस या प्रोफेशन से प्रिज्म्पटिव बेसिस पर अपनी इनकम डेक्लेयर कर सकते हैं। प्रिज्म्पटिव इनकम डेक्लेरेशन की इजाजत सेक्शन 44एडी, 44डीए और 44एई के तहत दी गई है।

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