ITR Refund: आयकर विभाग ने बताया था कि करदाताओं को समय पर रिफंड पाने के लिए अपने रिटर्न सही तरीके से दाखिल करने चाहिए। विभाग ने कहा रिफंड के दावों की जांच सत्यापन के अधीन होती है जिससे देरी हो सकती है। आईटीआर सही तरीके से दाखिल करने से रिफंड की प्रक्रिया में तेजी आती है। किए गए दावों में कोई भी विसंगति होने पर संशोधित रिटर्न के लिए अनुरोध किया जाएगा।
ITR Refund: आयकर विभाग ने रिटर्न दाखिल करने वालों से कहा है कि वे खर्च संबंधी फर्जी दावे नहीं करें और अपनी कमाई को कम करके नहीं दिखाएं। विभाग ने कहा कि बढ़ा-चढ़ाकर और फर्जी दावे करना दंडनीय अपराध है और इससे रिफंड जारी करने में देरी होती है। सभी करदाताओं के लिए आकलन वर्ष 2024-25 के लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है, जिसके बाद खातों का ऑडिट नहीं किया जाएगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अनुसार, 26 जुलाई तक पांच करोड़ से अधिक आईटीआर दाखिल किए जा चुके हैं।
हाल ही में आयकर विभाग ने बताया था कि करदाताओं को समय पर रिफंड पाने के लिए अपने रिटर्न सही तरीके से दाखिल करने चाहिए। विभाग ने कहा ‘रिफंड के दावों की जांच सत्यापन के अधीन होती है, जिससे देरी हो सकती है। आईटीआर सही तरीके से दाखिल करने से रिफंड की प्रक्रिया में तेजी आती है। किए गए दावों में कोई भी विसंगति होने पर संशोधित रिटर्न के लिए अनुरोध किया जाएगा। आयकर विभाग ने ITR दाखिल करने वाले करदाताओं से गलत स्त्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) राशि का दावा नहीं करने, अपनी आय को कम नहीं बताने या कटौती को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बताने का आग्रह किया है।
आयकर विभाग ने आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों से कहा है कि वे खर्चों के लिए फर्जी दावे न करें, अपनी आय को कम न बताएं या कटौती को बढ़ा-चढ़ाकर न बताएं क्योंकि यह दंडनीय अपराध है और इससे रिफंड जारी करने में देरी होती है। आकलन वर्ष 2024-25 के लिए आईटीआर दाखिल करने का सत्र उन सभी श्रेणियों के करदाताओं के लिए 31 जुलाई को समाप्त हो जाएगा जिनके खातों का ऑडिट नहीं किया जाना है।
आयकर विभाग और उसके प्रशासनिक निकाय केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अनुसार, 26 जुलाई तक पांच करोड़ से अधिक आईटीआर दाखिल किए जा चुके हैं। हाल ही में एक सार्वजनिक संचार में, आयकर विभाग ने करदाताओं से समय पर रिफंड प्राप्त करने के लिए अपने रिटर्न को सही तरीके से दाखिल करने को कहा। रिफंड के दावे सत्यापन जांच के अधीन हैं, जिससे देरी हो सकती है। आईटीआर को सही तरीके से दाखिल करने से रिफंड की प्रक्रिया तेज होती है। किए गए दावों में कोई भी विसंगति संशोधित रिटर्न (करदाता द्वारा दाखिल की जाने वाली) के लिए अनुरोध को प्रेरित करेगी।
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