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Belated ITR भरते समय झेलने पड़ते हैं ये 5 नुकसान, यहां जानिए इसके बारे में-

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Belated ITR भरते समय झेलने पड़ते हैं ये 5 नुकसान, यहां जानिए इसके बारे में-

Belated ITR Deadline, Penalty and Disadvantages: वित्त वर्ष 2023-24 (Financial Year 2023-24) के लिए आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई थी. हालांकि ऐसा नहीं कि इसके बाद आप इनकम टैक्‍स रिटर्न दाखिल नहीं कर सकते. इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139 (4) के तहत आपको विलंबित टैक्‍स रिटर्न (Belated ITR) दाखिल करने का मौका दिया जाता है.

आप 31 दिसंबर तक Belated ITR फाइल कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपको लेट फीस के तौर पर पेनल्‍टी भरनी पड़ती है. अगर टैक्सपेयर की सालाना कमाई 5 लाख रुपए से कम है, तब उसे लेट फीस के तौर पर 1,000 रुपए भरने होंगे. वहीं सालाना आय 5 लाख रुपए से ज्यादा होने पर उसे 5,000 रुपए तक की लेट फीस देनी होगी. इसके अलावा भी कई तरह के नुकसान झेलने पड़ते हैं, जिसके बारे में तमाम लोगों को जानकारी नहीं है. यहां जानिए इसके बारे में-

लॉस को कैरी फॉरवर्ड नहीं कर सकते

अगर आप बिलेटेड आईटीआर फाइल करते हैं, तो आपको लॉस को अगले साल के लिए कैरी फॉरवर्ड की परमीशन नहीं मिलती है. वहीं सामान्य स्थिति में आप लॉस को 8 साल तक कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं.

रिफंड पर ब्‍याज नहीं मिलता

बिलेटेड आईटीआर भरने वालों को डिपार्टमेंट ब्याज का भुगतान नहीं करता है. बता दें कि समय से आईटीआर फाइल करने पर टैक्सपेयर को रिफंड दिए जाने की तिथि तक राशि पर 0.5 फीसदी प्रति माह की दर से ब्याज मिलता है.

Penal Interest का भुगतान

यदि बिलेटेड ITR दाखिल करते समय कोई टैक्‍स बकाया है, तो उसे दंडात्मक ब्याज (Penal Interest) का भुगतान करना होगा. ये 1% प्रतिमाह की दर से लगाया जाता है. दंडात्मक ब्याज, बकाए टैक्‍स के प्रकार के आधार पर धारा 234A, 234B और 234C के तहत लगाया जाता है.

देरी से आता है रिफंड

बिलेटेड रिटर्न भरने के बाद अगर आपका टैक्स रिफंड बनता है तो ये देरी से मिलता है. आईटीआर फाइलिंग में देरी होने से प्रोसेसिंग देरी से होगी और रिफंड देर से आएगा.

Old Tax Regime का ऑप्‍शन नहीं मिलता

बिलेटेड आईटीआर में आपको ओल्‍ड टैक्‍स रिजीम (Old Tax Regime) का चुनाव करने का विकल्‍प नहीं मिलता. ऐसे में आपको न चाहते हुए भी न्‍यू टैक्‍स रिजीम के तहत रिटर्न दाखिल करना होता है. बता दें कि जो टैक्‍सपेयर्स डिडक्‍शन का फायदा लेकर टैक्‍स की बचत करना चाहते हैं, वो ओल्‍ड टैक्‍स रिजीम को चुनते हैं. लेकिन डेडलाइन निकलने के साथ ये ऑप्‍शन भी उनके हाथ से निकल जाता है.

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