धर्मशाला के एचपीसीए स्टेडियम में इंडिया और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का आखिरी मुकाबला खेला गया। इस मुकाबले को टीम इंडिया ने एक पारी और 64 रनों के अंतर से जीता। इसी के साथ इस सीरीज पर भारत ने 4-1 से कब्जा जमाया। यहां तक कि टीम इंडिया पहला मैच इस सीरीज का हारी थी, लेकिन सीरीज के बाकी चारों मुकाबले जीतकर भारत ने इतिहास रच दिया। इंग्लैंड की टीम भारत में बैजबॉल (तेज गति से बैटिंग करके सामने वाली टीम पर दबाव बनाना) पर टेस्ट सीरीज जीतने के इरादे से आई थी, लेकिन पहले मैच को जीतने के बाद भी इंग्लिश टीम वापसी नहीं कर सकी। इस सीरीज की एक पारी में ही भारत ने इतने रन बना दिए थे कि इंग्लैंड की टीम दो पारियों में मिलाकर भी उतने रन नहीं बना सकी।
कुलदीप-अश्विन का अटैक
इस मुकाबले में इंग्लैंड की टीम के कप्तान बेन स्टोक्स ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनी थी। हालांकि, कप्तान का ये फैसला सही साबित नहीं हुआ, क्योंकि इंग्लैंड की टीम 218 रन बनाकर ढेर हो गई। कुलदीप यादव ने पांच विकेट निकाले, जबकि आर अश्विन को चार विकेट मिले। एक सफलता रविंद्र जडेजा को मिली। जैक क्राउली अर्धशतक बनाने में सफल हुए।
रोहित-गिल का प्रहार
इंग्लैंड के खिलाफ पहली पारी में रोहित शर्मा और यशस्वी जायसवाल ने अच्छी शुरुआत टीम को दिलाई। जायसवाल अर्धशतक बनाकर आउट हो गए, लेकिन इसके बाद रोहित शर्मा ने अपना शतक पूरा किया और शुभमन गिल भी शतक जड़ने में सफल हुए। बाद में देवदत्त पडिक्कल और सरफराज खान के बल्ले से भी अर्धशतक निकले। भारत ने पहली पारी में 477 रन बनाए।
भारत को मिली विशाल बढ़त
टीम इंडिया को पहली पारी के आधार पर 259 रनों की बढ़त मिली। तीसरे दिन इंग्लैंड की टीम अपनी दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरी तो 100वां टेस्ट मैच खेल रहे आर अश्विन ने धारदार गेंदबाजी की और जल्द ही इंग्लैंड की आधी टीम को पवेलियन भेज दिया। दूसरे सेशन में खेल शुरू हुआ तो फिर से विकेट गिरते गए और अश्विन ने 5 विकेट हॉल प्राप्त कर लिया।
इंग्लैंड की टीम दूसरी पारी में 49.1 ओवर खेलकर सभी विकेट खोकर 15 रन बना सकी और मैच पारी और 64 रनों के अंतर से हार गई, क्योंकि भारत ने पहली पारी में ही इतने रन बना दिए थे कि मेहमान टीम दवाब में आ जाए। हालांकि, दूसरी पारी में जो रूट के बल्ले से अर्धशतक निकला, लेकिन वह सिर्फ हार के रनों को कम करने में ही सफल हुए।